अफसरों पर कोर्ट तल्ख, सीओ सिटी और नायब तहसीलदार तलब

गाजीपुर। कोर्ट का नजरिया गाजीपुर के अधिकारियों के लिए तल्ख हो गया है। अलग-अलग दो कोर्ट के आए फरमान तो कुछ ऐसा ही बयां कर रहे हैं। दोनों कोर्ट ने एक पीपीएस अफसर तथा नायब तहसीलदार सहित कुल पांच सरकारी मुलाजिमों को तलब किया है।
पीपीएस अफसर का मामला सीओ सिटी का है। फास्ट ट्रैक कोर्ट दो ने एक मामले में सीओ सिटी को 19 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। मामला पिछले साल शहर कोतवाली में दर्ज एनडीपीएस एक्ट का है। अभियुक्त ओमकार गुप्त के विरुद्ध आरोपपत्र इधर कोर्ट में दाखिल किया गया जबकि उसकी विवेचना पिछले साल ही 14 जुलाई को पूरी हो गई थी। कोर्ट में दाखिल आरोप पत्र सीओ सिटी के दस्तखत से हुआ है। उस पर तारीख दर्ज नहीं था। उस पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार की त्योरी चढ़ गई। उन्होंने सवाल किया कि जिस मामले की विवेचना एक साल पहले हो गई उसका आरोप पत्र अब कोर्ट में दाखिल करने का औचित्य क्या है। फिर सीओ सिटी ने उस पर तिथि क्यों नहीं अंकित की है। यह गंभीर सवाल हैं और इसका जवाब सीओ सिटी खुद कोर्ट में उपस्थित होकर दें। इस संबंध में सीओ सिटी ओजस्वी चावला से पूछा गया कि तो उन्होंने कहा कि शनिवार को वह वाराणसी गए थे। लिहाजा कोर्ट के इस आदेश की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
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उधर विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) गुलाब सिंह ने नायब तहसीलदार सहित चार लोगों को 11 नवंबर को तलब किया है। यह मामला भी शहर कोतवाली का है। रजदेपुर देहाती के रामचंदर राम बैंक से कर्ज लिये थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह वक्त पर कर्ज लौटा नहीं पाए। तब बैंक ने उनके नाम आरसी जारी कर दी। तत्कालीन नायब तहसीलदार सुशील कुमार दूबे और अमीन मदन यादव व लालमोहन यादव वगैरह उनके घर धमक गए। रामचंदर राम का आरोप है कि उन लोगों ने उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए मारा-पीटा और जबरन जीप में बैठा कर अपने साथ ले गए। रामचंदर ने इसकी लिखित शिकायत शहर कोतवाली में की लेकिन कुछ नहीं हुआ। लाचार रामचंदर ने कोर्ट में वाद दाखिल किया। कोर्ट ने इसी सिलसिले में आरोपितों को तलब किया है।