अब भाजपाइयों का एसओ खानपुर से रार, सामूहिक इस्तीफा देकर बनाया दबाव

गाजीपुर। भाजपा के नीचे के स्तर पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कासिमाबाद के बाद अब सैदपुर में वितंडा खड़ा हो गया है। पुलिस को लेकर वही गुस्सा। पार्टी जिला नेतृत्व का वही किस्सा।
सैदपुर मंडल पश्चिमी के नेताओं की रार एसओ खानपुर पन्नेलाल को लेकर है। उनकी बदजुबानी से आजिज पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं ने उन्हें हटाने की मांग पर अड़ गए हैं। इसको लेकर पार्टी में ऊपर दबाव बनाने के लिए मंडल के पदाधिकारियों समेत कुल 42 ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। उस इस्तीफे की चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल तक हो गई। चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि खानपुर थाने के सभी सिपाही और थानाध्यक्ष मनमाने तरीके से कार्य करते हैं। बीजेपी के कार्यकर्ताओं से असभ्य तरीके से पेश आते हैं, जो सरकार की मंशा के अनुरूप नहीं है। यूपी सरकार ने साफ तौर पर गाइडलाइन जारी कर हर एक थाने में आने वाले की बात सुनने का निर्देश दिया है। एसओ पन्नेलाल इसके पहले भी बिरनो थाने में पोस्टेड रहते हुए बीजेपी पार्टी वर्कर्स से बदसलूकी कर चुके हैं। इस्तीफा देने वालों का यह भी कहना है कि एसओ की शिकायत पार्टी जिलाध्यक्ष सहित पुलिस कप्तान से भी की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ।
हालांकि पार्टी जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह से रविवार की देर शाम `आजकल समाचार` ने फोन पर इस संबंध में चर्चा की। उन्होंने छूटते ही कहा कि अव्वल तो सामूहिक इस्तीफे की बात सरासर गलत है। रही बात एसओ खानपुर को लेकर कार्यकर्ताओं की शिकायत की तो प्रभावी मंत्री को यह अवगत करा दिया गया है। फिर जिलाध्यक्ष बताए कि सामूहिक इस्तीफे की खबर का खुद अध्यक्ष सैदपुर मंडल पश्चिमी श्याम कुवंर मौर्य ने खंडन किया है।
जिलाध्यक्ष से वार्ता के बाद ही मीडिया प्रभारी शशिकांत शर्मा ने व्हाट्सअप पर श्री मौर्य के खंडन की चिट्ठी भी भेज दी। मीडिया के लिए जारी उस चिट्ठी में श्री मौर्य ने कहा है कि सामूहिक इस्तीफे की खबर विरोधी दलों ने फैलाई।
बहरहाल मंडल अध्यक्ष जो कहें लेकिन भाजपा की गतिविधियों पर नजर रखने वाले यही मान रहे है कि मंडल अध्यक्ष का यू टर्न लेने के पीछे यही है कि पार्टी की बदनामी होते देख ऊपर के नेताओं ने उन पर चांप चढ़ाई होगी। हैरानी नहीं कि उन्हें भाजपा में राजनीतिक भविष्य खत्म करने की भी धमकी दी गई होगी।
मालूम हो कि कासिमाबाद क्षेत्र के कार्यकर्ता तत्कालीन एसएचओ कासिमाबाद बलवान सिंह के विरुद्ध सीधा मोर्चा खोल दिए थे। कासिमाबाद थाने में लगातार सात घंटे तक धरने पर बैठे रहे। ऊपर के नेताओं की नहीं सुने। आखिर में एसएचओ कासिमाबाद हटाए गए। जाहिर था कि सत्ताधारी दल का इस तरह थाने में धरना को लेकर भाजपा की खूब किरकिरी हुई। विरोधियों को तो चटखारा लेने का मौका मिल गया।