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पबजी बैन: पैरेंट्स खुश पर यूजर्स मायूस

गाजीपुर (राहुल पांडेय)। शहर के राजेंद्र नगर कॉलोनी के पिंटू वर्मा इस बात से बेहद खुश हैं कि पबजी ऐप बंद हो गया और अब उनका बेटा इंटर बोर्ड की परीक्षा अच्छे नंबरों से जरूर पास करेगा। कमोबेश शहर की ही प्रमिला श्रीवास्तव की भी यही स्थिति है। वह अपना पता जाहिर न करने की शर्त पर बताईं कि उनकी बेटी स्नातक की छात्र है लेकिन उसे पबजी की ऐसी लत लगी कि पढ़ना लिखना तो दूर लगभग पूरी रात वह जागती रहती लेकिन अब जबकि पबजी बंद हो गया है तो उम्मीद है कि बेटी पहले की तरह पढ़ाई लिखाई में जुट जाएगी और उसका सोना-जगना भी नियमित हो जाएगा।

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यह तो दो पैरेंट्स की कहानी है लेकिन इन्हीं की तरह वह सारे पैरेंट्स भी मोबाइल गेम ऐप्स पबजी पर बैन से खुश हैं जिनकी संतानें पबजी ऐप की लत में जकड़ गए थे। दिलदारनगर निवासी और बीएचयू के वरिष्ठ छात्र राकेश उपाध्याय कहते है कि पबजी किशोर व युवा वर्ग के लिए अफिम के नशे से कम घातक नहीं है। पबजी ऐप पर सरकार अब जाकर बैन लगाई है जबकि यह काम बहुत पहले होना चाहिए था। पबजी ऐप देश की सुरक्षा के लिहाज से कितना घातक था। यह तो सरकार जाने लेकिन यह जरूर है कि पबजी ऐप की लत नई पीढ़ी को बर्बाद कर रही थी।

सरकार ने इस लिए लगाया बैन

चीन से रिश्ते बिगड़ने के बाद मोदी सरकार पहले उसके 59 ऐप पर पाबंदी लगाई। फिर बीते दो सितंबर को और 118 मोबाइल ऐप्स को बैन कर दी। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई देश की सुरक्षा के लिए हुई है। चीन अपने उन सभी ऐप्स के जरिये भारत के यूजर्स के डाटा चोरी कर खुफिया सूचनाएं जुटा रहा था। हालिया प्रतिबंधित चीनी ऐप्स में मोबाइल गेम ऐप्स पबजी भी शामिल है। वैसे सरकार की पाबंदी के बावजूद अभी तक प्ले स्टोर पर पबजी ऐप दिख रहा था लेकिन शुक्रवार को यह गेम प्ले स्टोर से भी हटा दिया गया।

…पर पाबंदी से उबर जाएंगें बच्चे

ज्यादातर यूजर बच्चों के पैरेंट्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अचानक पाबंदी से उनके बच्चों की मनोदशा बिगड़ सकती है। इस सवाल को लेकर हम पहुंचे पीजी कॉलेज मनोविज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. बीडी मिश्र के पास। वह पैरेंट्स की ऐसी चिंता से इत्तेफाक नहीं रखते। कहे कि पबजी के लती बच्चे उस पर अचानक रोक लगने से होने वाली मानसिक दुश्वारियों से शीध्र ही उबर जाएंगे। यह मामला फिजीयोलॉजिकल डिपेंडेंसी का नहीं बल्कि साइकोलॉजिकल डिपेंडेंसी का है।

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