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वाकई! कोरोना के इस संकट में अपने सपूत डॉ.दानिश खां पर नाज है गाजीपुर को

गाजीपुर। देश पर जब भी कोई संकट आया है। तब अपनी जान की परवाह छोड़ गाजीपुर के योद्धा आगे हैं। चाहे देश की सरहद पर आया संकट रहा हो या अब वैश्विक महामारी कोरोना का संकट।

कोरोना के इस संकट में जहां स्थानीय स्तर पर नौजवानों की टीम आगे आई वहीं गाजीपुर का एक नौजवान ऐसा भी है जो घर, परिवार तक को भूला दिया और पूरे प्रदेश के लोगों की सलामती के लिए अपनी जान की परवाह नहीं किया। दिन-रात एक ही धुन में रहा कि कोरोना के संकट से लोगों को उबारा जाए। यह नौजवान है शहर के सुजावलपुर मुहल्ले का डॉ.दानिश नसर खान। वह लखनऊ के केजीएमसी में रिसर्च साइंटिस्ट और नोडल ऑफिसर हैं। प्रदेश में जब कोरोना की लहर पूरे उफान पर थी। तब वह अपने काम में डटे रहे। उनके जेहन में बस एक धुन यही कि कोरोना को हर हाल में परास्त किया जाए और उससे लोगों को निजात दिलाई जाए। डॉ. दानिश पिछले साल 12 दिसंबर को घर आए थे। उसके बाद उन्हें दोबारा घर लौटने का मौका बीते 13 अक्टूबर को मिला।

…और डॉ.दानिश की जुबानी

‘कोरोना से हमारी जंग जनवरी में शुरू हो चुकी थी। तीन मार्च को हमारी लैब में आगरा के छह केस पाजिटिव आए। तब से मैं और मेरी पूरी टीम लगातार 18-20 घण्टे काम कर रही है। ताकि प्रदेश से आ रहे सभी नमूनों की जांच समय पर हो सके। शुरुआत में केजीएमयू में वॉयरोलॉजी की मात्र एक लैब थी जो विभागाध्यक्ष प्रो. अमित जैन की देखरेख में चल रही थी। मेरी भूमिका बतौर रिसर्च सांइटिस्ट यह थी कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा लैब संचालन में आएं। फिर तो लगभग 134 सरकारी एवं गैर सरकारी लैब स्थापित हुईं। उनके लिए ट्रेनिंग और गुणवत्ता की जांच की जिम्मेदारी मेरी थी। नतीजा आज प्रतिदिन 50 हजार आरटी पीसीआर की जांच इन्हीं लैब में हो रही है। प्रदेश के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। इन सभी लैब में टेक्निशियन और साइंटिस्ट को एक्सपर्ट सलाह के लिए मैं आज भी 24 घंटे उपलब्ध रहता हूं। बीते सात माह में मेरी टीम की दिन-रात की मेहनत का नतीजा है कि छह लाख लोगों के टेस्ट हो चुके हैं। इस कार्यकाल में मैं खुद और मेरी टीम के कई लोग  संक्रमित हुए मगर जज्बा ऐसा कि दस दिन कोरेंटाइन रहने के बाद फिर से हम सभी काम पर लौट आए। इस बीच मुझे घर वालों से मिलने आना तो दूर फोन पर बात करने का भी वक्त मुश्किल से मिलता था। पिताजी की तबीयत खराब होने की सूचना पर किसी तरह दो दिन की छुटटी मिली है।’

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केशव प्रसाद मौर्य और मनोज सिन्हा ने किया अभिनंदन

प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने डॉ.दानिश को अपने हाथों सम्मानित किया। उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया। अपने ट्विटर हैंडल पर हैश टैग यूपी के कोरोना योद्धा में लिखा-दानिश कोरोना टेस्टिंग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। तीन मार्च से वह घर नहीं गए। ताकि बिना समय गंवाए वह काम कर सकें। उन्होंने देश को गौरवान्वित करने का दृढ़संकल्प लिया है। ऐसे कोरोना वॉरियर का अभिनंदन। गाजीपुर के पूर्व सांसद और जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने भी उसी क्रम में हैश टैग यूपी के कोरोना योद्धा में लिखा-दानिश नसर खान को कोरोना टेस्टिंग की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने उत्तर प्रदेश के जिला अस्पतालों के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया, जिससे वे सैंपल एकत्रित करने, पैकेजिंग करने व सैंपल को लैब तक पहुंचाने से संबंधित कमियों को दूर कर सकें। उनकी मेहनत का नतीजा है कि पहले जो चिकित्सा संस्थान वॉयरोलॉजी वॉयरोलॉजी के संबंध में नहीं जानते थे, वे अब पीसीआर मशीनों पर काम कर रहे हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस लिए इस वक्त तीन शिफ्ट में उनकी टीम काम कर रही है। तीन मार्च से वह और उनकी टीम घर भी नहीं गई है।

व्यापारी नेता अबू फखर खां के भतीजे हैं डॉ.दानिश

डॉ.दानिश का स्थानीय स्तर पर एक परिचय यह भी है कि वह वरिष्ठ व्यापारी नेता और प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के जिलाध्यक्ष अबू फखर खां के भतीजे हैं। दस माह बाद घर लौटने पर उनके सम्मान में अबू फखर खां की अगुवाई में पारिवारिक समारोह हुआ। इस मौके पर अबू फखर खां ने कहा कि डॉ. दानिश को सम्मानित करना जिले के लिए गर्व की बात है। उनके परिवार में ऐसा भी योद्धा है जो अवाम और देश के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहा है। समारोह में शहनवाज, शाहिदा, आफताब, खालिद, मैनाज खातून, अरसलाल, अयन, अफशीन, समरिन, फरहान, जफर महमूद, शाइस्ता आदि मौजूद थे।

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