सिंह हॉस्पिटल की आईसीयू में महिला रोगी के साथ छेड़छाड़, संचालक सहित दो पर एफआईआर

गाजीपुर। सिंह लाइफ केयर हॉस्पिटल जमानियां मोड़ एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बार का मामला आईसीयू में महिला रोगी के साथ कथित छेड़छाड़ का है। इस घटना को लेकर शनिवार की सुबह गुस्साए महिला के स्वजनों सहित ग्रामीणों ने हॉस्पिटल पहुंच कर हंगामा किया और अंधऊ बाइपास जाम कर दिया। मौके पर पहुंचे सदर एसडीएम अनिरुद्ध सिंह तथा शहर कोतवाल विमल कुमार मिश्र ने ग्रामीणों को किसी तरह समझा कर जाम खत्म कराया। पीड़ित महिला की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई है।
पीड़ित महिला के अनुसार श्वांस रोग के चलते बुधवार को उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। घरवाले रात दस बजे उसे सिंह हॉस्पिटल पहुंचाए। जहां उसको आईसीयू में दाखिल कराया गया। उसी दौरान हॉस्पिटल के कर्मचारी ने गलत नीयत से शरीर के कई हिस्सों में गलत स्पर्श करने लगा। यही नहीं बल्कि उसके साथ जोर जबरदस्ती भी करना चाहा। फिर उसका फोन नंबर पूछने के बाद घर लौट कर अकेले में फोन करने को भी कहा। शुक्रवार को पीड़िता हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद घर पहुंची और पति को आपबीती सुनाई।
पीड़िता की ओर से शहर कोतवाली में दी गई तहरीर में कहा गया है कि पूरा घटनाक्रम कैद हो सकता है। उसका यह भी दावा है कि इस पूरी घटना में हॉस्पिटल के संचालक डॉ. राजेश सिंह का पूरा हाथ है।
इस सिलसिले में शहर कोतवाल विमल मिश्र ने बताया कि पीड़ित महिला की तहरीर पर आईपीसी की धारा 354, 376 तथा 120(बी) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई है। उसमें हॉस्पिटल के एक अज्ञात कर्मचारी के अलावा संचालक डॉ. राजेश सिंह को नामजद किया गया है।
…और पुलिस कप्तान कहिन
सिंह हॉस्पिटल की घटना को लेकर मीडिया से चर्चा में पुलिस कप्तान डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि मौके का सीसीटीवी फुटेज देखा गया है। उसमें कोई ऐसा कंटेंट नहीं मिला है जो महिला के कथन की पुष्टि करे। बावजूद महिला की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। विवेचना के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। इसी क्रम में पुलिस कप्तान ने यह भी कहा कि कथित घटना को लेकर रास्ता जाम करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होगी। वजह पूरे जिले में धारा 144 लागू है और साफ है कि इस निषेधाज्ञा को तोड़कर लोग सड़क पर उतरे।
हॉस्पिटल संचालक का कहनाम
सिंह हॉस्पिटल के संचालक डॉ. राजेश सिंह से ‘आजकल समाचार’ ने संपर्क किया। उन्होंने कहा कि अव्वल तो वह गाजीपुर से बाहर हैं। लिहाजा पूरे घटनाक्रम के बाबत वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन यह जरूर है कि हॉस्पिटल प्रबंधन पुलिस की जांच में पूरा सहयोग कर रहा है। अगर महिला के आरोपों की पुष्टि पुलिस जांच में होगी तो वह खुद भी चाहेंगे कि हॉस्पिटल के उस कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। वैसे यह भी तय है कि उनके हॉस्पिटल के विरुद्ध एक बार फिर गहरी साजिश रची गई है।
बचाव में आगे आया आईएमए
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) गाजीपुर सिंह लाइफ केयर हॉस्पिटल के बचाव में आगे आया है। एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल पुलिस कप्तान से मिला और उन्हें पत्रक देकर कहा कि हॉस्पिटल के संचालक डॉ. राजेश सिंह आईएमए के सम्मानित सदस्य हैं। कतिपय आराजत तत्व झूठे आरोप लगाकर उनकी और हॉस्पिटल की प्रतिष्ठा बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। उनकी कोशिश हॉस्पिटल में तोड़फोड़ करने की है। लिहाजा उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। एसोसिएशन के सचिव डॉ. जेएस राय ने बताया कि पुलिस कप्तान ने न्यायोचित कार्रवाई का भरोसा दिया है।
…तब ग्रामीणों ने हॉस्पिटल पर बोला था धावा
गाजीपुर। सिंह लाइफ केयर हॉस्पिटल पहली बार तब सुर्खियों में आया था जब गुस्साए ग्रामीणों ने वहां धावा बोल दिया था। बात अप्रैल 2015 की है। हॉस्पिटल में दाखिल महिला रोगी सुदामा देवी पत्नी आनंदी यादव निवासी पकड़ी थाना रेवतीपुर के पुत्र राजेश यादव (25) की रहस्यमय मौत और उसका शव हॉस्पिटल के सामने सड़क पर मिलने की प्रतिक्रया में हॉस्पिटल पर पथराव, तोड़फोड़, आगजनी तक हुई थी। गुस्साई भीड़ ने हॉस्पिटल में खड़े एंबुलेंस सहित तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। हालात काबू करने की कोशिश में जुटे पुलिस बल पर भी पथराव हुआ था। उसमें तत्कालीन सीओसीटी कमल किशोर के अलावा एसडीएम सदर के चालक व कई पुलिस कर्मियों के सिर तक फट गए थे। गुस्साई भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को करीब 50 राउंड तक रबर की गोलियां और आंसू गैस तक का इस्तेमाल करना पड़ा था। उस पूरे प्रकरण में हॉस्पिटल स्टाफ और उग्र भीड़ में शामिल लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि तब प्रदेश में सपा की सरकार थी और सरकार में गाजीपुर के दो मंत्री थे। चर्चा आई थी कि दोनों मंत्रियों ने हॉस्पिटल मैनेजमेंट को खुल कर डिफेंड किया था।
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