मुख्य न्यायाधीश के हाथों वरिष्ठ वकीलों के चित्र लोकार्पित

गाजीपुर। पीजी कॉलेज के संस्थापक व अधिवक्ता स्व. डॉ. राजेश्वर सिंह का शनिवार को सिविल बार एसोसिएशन की दीवार पर चित्र के रूप में प्रतिस्थापित किया गया। चित्र का अनावरण उच्च न्यायालय प्रयाग के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने किया।
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने स्व. राजेश्वर सिंह के साथ पूर्व के पुरोधा अधिवक्तागण स्व. पीयूषकांत वर्मा, स्व. श्रीकांत वर्मा एवं मुंशी चंद्रिका प्रसाद के चित्रों का भी अनावरण किया। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्तागण को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ने स्व. राजेश्वर सिंह द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और उनका नमन कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने न्यायपालिका को भव्य, सुंदर, स्वच्छ और अन्याधुनिक तकनीकी युक्त होने के लिए प्रेरित किया। साथ आवश्यक सुविधाओं को उपलब्ध कराने को लेकर आश्वस्त किया। बार एसोसिएशन की प्रतिष्ठा और प्राचीनता की प्रशंसा की। कार्यक्रम का संयोजन सिविल बार संघ गाजीपुर द्वारा तकनीकी शिक्षा एवं शोध संस्थान, पीजी कॉलेज, गाजीपुर द्वारा कुशलता पूर्वक संपन्न किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता रामपूजन सिंह, सुभाषचंद्र गुप्त, डॉ. अमित प्रताप, संजीव कुमार सिंह, रणजीत सिंह आदि थे।संचालन गौरव कुमार, अपर जिला जज एवं अजय कुमार सिंह एवं धन्यवाद सिविल बार संघ के अध्यक्ष हृदय नारायण सिंह ने किया।
अनावरण से पहले उन्होंने पीजी कालेज स्थित शिव वाटिका में रुद्राक्ष का पौधरोपण किया। पीजी कॉलेज के एनसीसी कैडेट्स ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इसका संचालन डॉ. अमित प्रताप ने किया। इस मौके पर प्राचार्य डॉ. समर बहादुर सिंह, संजीव कुमार सिंह, डॉ. धर्मराज सिंह, डॉ. पीयूषकांत सिंह, डॉ. विनोद सिंह, कृपाशंकर सिंह, अनिल पांडेय, संतोष कुमार, आशुतोष सिंह आदि उपस्थित रहे।
पौधरोपण करने के दौरान वहां के औषधीय पौधों की हरीयाली देख मुख्य न्यायाधीश खुश हुए। उन्होंने वाटिका का भ्रमण किया और औषधीय पौधों के साथ अन्य पौधों के बारे में भी जानकारी ली। उनके साथ न्यायमूर्ति श्री ओमप्रकाश, न्यायमूर्ति विवेक वर्मा, महानिबंधक उच्च न्यायालय प्रयाग अजय कुमार श्रीवास्तव, जनपद न्यायाधीश प्रशांत मिश्र, जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह, एसी डॉ. ओपी सिंह ने भी पौधरोपण किया। बताया गया कि इस उद्यान में लगभग 200 विभिन्न प्रकार के वृक्ष और पौधे उपलब्ध है और पूर्व में 54 विशिष्टगणों द्वारा पौधरोपण किया जा चुका है।