प्रमुख समाजसेवी शिवकुमार राय को श्रद्धांजलि देने पहुंचे महामंडलेश्वर और सांसद

गाजीपुर। कहते हैं कि संत-महात्मा के लिए अपना शिष्य, भक्त कभी विस्मृत का विषय नहीं होता जबकि इसके ठीक उलट राजनेता माने जाते हैं। समय के साथ वह अपने मित्र, समर्थक, कार्यकर्ता को बिसराने में देर नहीं करते मगर सांसद अफजाल अंसारी ने इस धारणा को एकदम से झुठला दिया।
अवसर था गुरुवार को प्रमुख उद्यमी और समाजसेवी स्व. बाबू शिवकुमार राय की पहली पुण्यतिथि का। यह कार्यक्रम उनके पैतृक गांव भांवरकोल ब्लॉक क्षेत्र स्थित अवथहीं में आयोजित था। मुख्य अतिथि सिद्धपीठ हथियाराम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति जी महाराज थे। कार्यक्रम में सांसद अफजाल अंसारी भी उपस्थित थे। निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि जहां महामंडलेश्वर अपने परम भक्त की स्मृति में सम्मिलित थे। वहीं सांसद अफजाल अंसारी अपने परम मित्र और प्रमुख सहयोगी को याद करने पहुंचे थे।
कार्यक्रम में सांसद अफजाल अंसारी विशिष्ट अतिथि के रूप में नहीं बल्कि बाबू शिवकुमार राय के स्वजन की भूमिका में दिखे। अन्य स्वजनों की तरह महामंडलेश्वर के आगमन पर उनके स्वागत में द्वार पर फूलमाला लेकर वह भी खड़े थे। फिर अतिथेय भाव से वह महामंडलेश्वर को ससम्मान पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए बाबू शिवकुमार राय की पुष्पों से सुसज्जित रखी फोटो तक ले भी गए।
इस अवसर पर श्रीमद् भागवत पाठ के अनुष्ठान का शुभारंभ महामंडलेश्वर भवानीनंदन यतिजी महाराज ने किया। उन्होंने बाबू शिवकुमार राय के लिए अपनी भावांजलि में श्रीमद् भागवत के श्लोकों को उद्धृत करते हुए कहा कि हर आत्मा में परमात्मा का अंश है। यही कारण है कि आत्मा अजर-अमर होती है। कोरोना की विपदा ने अनेक घरों के दीप बुझा दिया। उन्हीं घरों में एक घर शिवकुमार राय का भी था। उस विपदा काल में शिवकुमार राय के बिछुड़ने का दुख हर किसी को है। इसका प्रमाण इस कार्यक्रम में हर वर्ग, हर क्षेत्र की उपस्थिति है। उन्होंने सिद्धपीठ हथियाराम मठ की कीर्ति-यश को जन-जन तक पहुंचाने में बाबू शिवकुमार राय के योगदान की भावपूर्ण स्वर में चर्चा भी की।
इस अवसर पर बाबू शिवकुमार राय के स्वजनों के अलावा पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदानंद राय लुटूर, अमिताभ राय बबुआ और संत, महात्मा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
मालूम हो कि सांसद अफजाल अंसारी को महामंडलेश्वर भवानीनंदन यतिजी महाराज के सानिध्य में बाबू शिवकुमार राय ही पहुंचाए थे और आज भी अफजाल अंसारी में भवानीनंदन यतिजी महाराज के प्रति वही श्रद्धा दिखती है। बल्कि अवसर मिलने पर वह सिद्धपीठ हथियाराम में मत्था टेकने जाते रहते हैं।